जीवन मे खेलकूद का महत्व पर निबन्ध | Essay on Importance of Games and Sports in Life in Hindi

जीवन मे खेलकूद का महत्व पर निबन्ध | Essay on Importance of Games and Sports in Life in Hindi

Essay on Importance of Games and Sports in Life in Hindi

इस निबन्ध के अन्य शीर्षक-


  • व्यक्तित्व विकास खेलों का महत्व
  • खेलकूद और योगासन का महत्व
  • युवा पीढ़ी और खेल कूद का महत्व
  • खेलकूद : शिक्षा और विद्यार्थी
  • विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा/क्रीड़ा शिक्षा का महत्व

रूपरेखा-

प्रस्तावना

शिक्षा मनुष्य के सर्वांगीण विकास के लिए जीवन की आधारशिला है। व्यक्ति के प्रकृत रूप में सच्चे मानवीय रूप में विकास ही शिक्षा का मूल उद्देश्य है। शिक्षा मस्तिष्क को स्वस्थ बनाती है। इस प्रकार शिक्षा की सार्थकता व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, चारित्रिक और आध्यात्मिक विकास में निहित है। सर्वविदित है कि स्वस्थ मस्तिष्क, स्वस्थ शरीर में ही निवास करता है। स्वस्थ शरीर तभी संभव है। जब वह गतिशील रहे; खेलकूद या व्यायाम आदि से पुष्ट बनाया जाए। इसीलिए विश्व के लगभग प्रत्येक देश में स्वाभाविक रुप से खेलकूद और व्यायाम पाए जाते हैं।

स्वास्थ्य : जीवन का आधार

मानव जीवन के समस्त कार्यों का संचालन शरीर से ही होता है। हमारे यहां तो कहा भी गया है -'शरीरमाद्यम खलु सर्वसाधनं'। सच ही है - शरीर के होने पर ही व्यक्ति सभी प्रकार से साधनसंपन्न हो सकता है। जान है तो जहान है। यहां पर जान से तात्पर्य है स्वस्थ शरीर। इसलिए प्रत्येक काल में, हर देश, हर समाज में स्वास्थ्य की महत्ता पर बल दिया गया है। इसे जीवन का सबसे बड़ा सुख मानते हुए कहा गया है - 'पहला सुख निरोगी काया' इसी सुख की प्राप्ति खेलकूद और व्यायाम से होती है।

शिक्षा तथा खेलकूद

शिक्षा तथा खेलकूद का परस्पर घनिष्ठ संबंध है। शिक्षा मनुष्य का सर्वांगीण विकास करती है। शारीरिक विकास इस विकास का पहला रूप है। जो खेलकूद में गतिशील रहने से ही संभव है। मस्तिष्क भी एक शारीरिक अवयव है। अतः खेलकूद को अनिवार्य रुप से अपनाने पर मस्तिष्क भी परिपक्व होता है। और वह शिक्षा में भी आगे बढ़ता है। इस प्रकार खेलकूद, मानसिक, चारित्रिक और आध्यात्मिक विकास से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। शिक्षा से खेलकूद कि इस घनिष्ठता को दृष्टिगत रखकर ही प्रत्येक विद्यालय में खेलकूद की व्यवस्था की जाती है। और इनसे संबद्ध व्यवस्था पर पर्याप्त धनराशि व्यय की जाती है।

खेलकूद के विविध रूप

कुछ नियमों के अनुसार शरीर को पुष्ट, स्फूर्तिमय तथा मन को प्रफुल्लित बनाने के लिए जो शारीरिक गति की जाती है। उसे ही खेलकूद और व्यायाम कहते हैं। खेलकूद और व्यायाम का क्षेत्र बहुत व्यापक है, तथा इसके अनेकानेक रूप है। रस्साकस्सी, कबड्डी, खोखो, ऊंची कूद, लंबी कूद, तैराकी, हॉकी, फुटबॉल, क्रिकेट, बेडमिंटन, जिमनास्टिक, लोहे का गोला उछालना, टेनिस, स्केटिंग आदि खेलकूद के ही विविध रुप हैं। इनसे शरीर में रक्त का संचार तीव्र होता है। और अधिक ऑक्सीजन की आपूर्ति के कारण प्राण शक्ति बढ़ती है। इसीलिए खेलकूद हमारे शरीर को पुष्ट बनाते हैं। सभी लोग सभी स्थानों पर नियमित रुप से सुविधापूर्वक खेलकूद नहीं कर सकते, इसलिए शरीर और मन को पुष्ट बनाने के लिए व्यायाम करते हैं।

शिक्षा में खेलकूद का महत्व

केवल पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त करके मानसिक विकास कर लेने मात्र को शिक्षा मानना नितांत भरम है। सच्ची शिक्षा मानसिक विकास के साथ-साथ शारीरिक, चारित्रिक और आध्यात्मिक विकास में सहायक होती है। जिससे मनुष्य सच्चे अर्थों में मनुष्य बनता है। शिक्षा के क्षेत्र में खेलकूद अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मानसिक विकास की दृष्टि से अधिक खेलकूद बहुत महत्वपूर्ण है। खेलकूद से पुष्ट और स्फूर्तिमय शरीर ही मन को स्वस्थ बनाता है। अंग्रेजी की यह कहावत "There is a sound mind in a sound body." अर्थात स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। बिल्कुल सत्य है रोग और दुर्बल शरीर व्यक्ति को चिढ़चिढ़ा, असहिष्णु और स्मृति क्षीण बनाते हैं। जिससे वह शिक्षा ग्रहण करने योग्य नहीं रह जाता, खेलकूद हमारे मन को प्रफुल्लित और उत्साहित बनाए रखते हैं। खेलो से नियम पालन का स्वभाव विकसित होता है। और मन एकाग्र होता है। शिक्षा प्राप्ति में यह तत्व महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, परंतु आज के वातावरण में अधिकतर माता पिता अपने बच्चों के केवल अक्षर ज्ञान पर ही विशेष बल दे रहे हैं। परीक्षा में अधिक अंको सहित उत्तीर्ण होना तथा किसी ना किसी प्रकार अच्छी नौकरी को प्राप्त करना ही उनका उद्देश्य होता है।

खेलकूद चारित्रिक विकास में भी योगदान देते हैं। खेलकूद से सहिष्णुता, धैर्य और साहस का विकास होता है, तथा सामूहिक सद्भाव और भाईचारे की भावना पलती है। इन चारित्रिक गुणों से एक मनुष्य सही अर्थो में शिक्षित और श्रेष्ठ नागरिक बनता है। शिक्षा प्राप्त के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को भी हम खेल में आने वाले अवरोधों की भाति हंसते-हंसते पार कर लेते हैं, और सफलता की मंजिल तक पहुंच जाते हैं। इस प्रकार जीवन की अनेक घटनाओं को हम खिलाडी की भावना से ग्रहण करने के अभ्यस्त हो जाते हैं।

खेलकूद के सम्मिलन से शिक्षा में सरलता, सरसता और रोचकता आ जाती है। शिक्षाशास्त्रियों के अनुसार, खेल के रूप में दी गई शिक्षा तीव्रगामी, सरल और अधिक प्रभावी होती है। इसे शिक्षा की खेल पद्धाति कहते हैं। मांटेसरी और किंडरगार्टन की शिक्षा पद्धतियां इसी मान्यता पर आधारित है। इससे स्पष्ट है कि शिक्षा में खेलकूद का अत्यधिक महत्त्व है। और बिना खेलकूद के शिक्षा सारहीन रह जाती है।

शिक्षा और खेलकूद में संतुलन

शिक्षा में खेलकूद बहुत उपयोगी है, किंतु यदि कोई खेलकूद पर ही बल दे और शिक्षा के अन्य पक्षों की उपेक्षा कर दे, तो यह भी अहितकर होगा। विद्यार्थी का जीवन तो अध्ययनशील, कार्यशील व व्यस्त होना चाहिए। जिसमें एक  क्षण का समय भी दूषित वातावरण में व्यतीत नहीं होना चाहिए। हमें बुद्धिजीवी होने के साथ श्रमजीवी भी होना चाहिए। पढ़ते समय हम केवल पढ़ाई का ध्यान रखें और खेलकूद के समय एकाग्रचित हो कर खेलें। यही प्रसन्नता और आनंद का मार्ग है।

उपसंहार

खेलकूद से छमता, उल्लास और स्फूर्ति मिलती है। इसे जीवन रसमय बन जाता है। जीवन रस से विहीन शिक्षा निरर्थक है। अतः शिक्षा को जीवंत और सार्थक बनाए रखने के लिए तथा विद्यार्थी के व्यक्तित्व के संपूर्ण और समग्र विकास के लिए खेलकूद महत्वपूर्ण है। वर्तमान शिक्षा प्रणाली में आवश्यक परिवर्तन कर खेलों को उसके पाठ्यक्रम का अनिवार्य अंग बनाने की भी आवश्यकता है। इनकी परीक्षा की भी उचित प्रणाली और प्रक्रिया विकसित की जानी चाहिए। बस्तियों के शोर शराबे और घुटन भरे माहौल से शिक्षा को दूर, साफ-सुथरे, शांत और स्वस्थ वातावरण में ले जाएं जाने की भी बहुत बड़ी आवश्यकता है।

व्यक्तित्व के सम्पूर्ण एवं समग्र विकास का शिक्षा का जो दायित्व है, उसकी पूर्ति तभी संभव हो सकेगी। समस्त विश्व ने इस वास्तविकता को स्वीकार किया है, तथा प्रत्येक देश में खेलकूद शिक्षा का अनिवार्य अंग बन गए हैं। हमारे देश में इस दिशा में कार्य बहुत कम हुआ है। बाल विद्यालयों में भी खेलकूद की व्यवस्था का अभाव है। देश की भावी पीढ़ी को सुयोग्य, सुशिक्षित और विकासोन्मुखी बनाने के लिए शिक्षा और खेलकूद में समन्वय का होना अत्यावश्यक है।
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