यदि मैं शिक्षा मंत्री होता पर निबंध

यदि मैं शिक्षा मंत्री होता पर निबंध / यदि मैं शिक्षा मंत्री बन जाऊँ

संकेत बिंदु- (1) वर्तमान शिक्षा प्रणाली में सुधार (2) त्रिभाषा सूत्र लागू और प्राथमिक शिक्षा में सुधार (3) सरकारी और पब्लिक विद्यालयों का समान स्तर (4) चरित्रवान और प्रशिक्षित अध्यापकों की नियुक्ति (5) उपसंहार।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली में सुधार

मैं यदि भाग्यवश शिक्षा मंत्री बन जाऊँ तो वर्तमान शिक्षा प्रणाली में कुछ सुधार करने का पूरा प्रयास करूंगा, क्योंकि शिक्षा ही उचित-अनुचित की परख करने में सक्षम होती है और मनुष्य के जीवन को उन्नति-प्रगति के मार्ग में ले जाने में सम्पूर्ण सहायक होती है। शिक्षा से मिलने वाले ज्ञान का प्रकाश जीवन के अन्धकारमय अज्ञान को मिटाकर उजले पथ पर मनुष्य को चलने का साहस देता है।

त्रिभाषा सूत्र लागू और प्राथमिक शिक्षा में सुधार

यदि मैं शिक्षा मंत्री बन जाऊँ तो शिक्षा के लिए त्रिभाषा फार्मूला भी अनिवार्य रूप से लागू करवाऊँगा, जिससे प्रत्येक विद्यार्थी हिन्दी और अंग्रेजी के साथ एक क्षेत्रीय भाषा अथवा मातृभाषा की भी शिक्षा ग्रहण कर सके। इसके साथ ही स्कूली स्तर पर तकनीकी शिक्षा पर भी मैं जोर दूंगा। यह भी प्रयास रहेगा कि स्कूली छात्र को पढ़ाई के साथ-साथ कम्प्यूटर शिक्षा का भी ज्ञान दिया जाये, क्योंकि आज समाज में कम्प्यूटर की मांग बढ़ रही है और स्कूल में छात्र को जब कम्प्यूटर की शिक्षा भी प्राप्त हो जायेगी तो छात्र का भविष्य भी सुखद व सुन्दर होगा।

शिक्षा मंत्री बनने के बाद मेरा प्रयास रहेगा कि समूचे राष्ट्र में प्राथमिक शिक्षा के स्तर में सुधार लाया जाये, क्योंकि प्राथमिक शिक्षा ही छात्र की आधार शिला मानी जाती है। शहरों, कस्बों और गाँवों के सभी बालकों के लिए अनिवार्य शिक्षा की योजना बनाकर करके प्रत्येक बालक को शिक्षित बनाने के लक्ष्य को भी पूरा किया जायेगा। देश के प्रत्येक छात्र को भारतीय संस्कृति के नैतिक मूल्यों के साथ-साथ आदर्शों की स्थापना और चारित्रिक शिक्षा को स्तरीय बनाकर विशेष कार्यक्रमों के साथ नैतिक-शिक्षा को अनिवार्य विषय बना दिया जायेगा।

शिक्षा का दीप जलाकर हम, द्वार-द्वार पर जायेंगे।
भारत के अनपढ़ बालक को, 'रलम्' पढ़ना सिखलायेंगे। 

सरकारी और पब्लिक विद्यालयों का समान स्तर

मेरा यह भरसक प्रयास रहेगा कि सरकारी विद्यालयों और पब्लिक स्कूलों का शिक्षा स्तर समान रहे, ताकि किसी भी विद्यार्थी के मन में परीक्षा परिणाम को लेकर मन में हीन भावना का जन्म न हो। सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों के अन्तर को समाप्त किये जाने के प्रयास किये जायेंगे। इसके साथ ही देश में विद्यालयों की परीक्षा प्रणाली को सुधारा जायेगा। जहाँ तक पाठ्य पुस्तकों का प्रश्न है, उनका प्रारूप और स्वरूप भी सही कराने का प्रयास किया जायेगा। पाठ्य पुस्तकों में सुधार होने से देश भर में फैल रहे साम्प्रदायिकता, क्षेत्रीय समस्या, भाषा समस्या, नास्तिकवाद, आतंकवाद पर अंकुश भी शिक्षा के माध्यम से ही लगाये जाने का भरसक प्रयास किया जायेगा। जब देश की जनता और देश का भविष्य शिक्षित हो जायेगा तो अपना, समाज का तथा देश का भविष्य संवारने में देश का नागरिक ही सहायक बन जायेगा, और यह नारा प्रत्येक व्यक्ति अपनी दैनिक पूजा के साथ सुबह शाम लगायेगा

हम सबका ही यह प्रण होगा। न कोई अनपढ़ जन होगा।
हर घर में शिक्षा आयेगी। जनता शिक्षित कहलायेगी। 

यदि मैं शिक्षा मंत्री बनता हूँ तो मेरा यह भी प्रयास रहेगा कि अयोग्य और चरित्रहीन अध्यापक स्कूलों से बाहर कर दिये जायें और इनके स्थान पर योग्य, प्रशिक्षित और चरित्रवान् अध्यापकों को नियुक्त किया जाये। इसके साथ ही यह भी प्रयास किया जायेगा कि अध्यापकों को उचित वेतन मिले ताकि वह छात्रों को मन लगाकर पढ़ा सकें।अध्यापकों की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति हो, अध्यापकों को समुचित सम्मान मिले, इसके साथ ही अध्यापकों को समाज में भी उचित स्थान मिले। अध्यापकों को आकर्षक वेतन मिलने से अनेक प्रतिभाशाली व्यक्ति अध्यापन के क्षेत्र से जुड़कर देश के भविष्य को उज्ज्वल बनाने में सहायक होंगे, अध्यापक ही भावी पीढ़ी के निर्माण में सहायक होते हैं। अगर मुझे शिक्षा मंत्री बना दिया जाता है तो मैं ऐसी व्यवस्था कराने का प्रयास करूंगा जिससे सांस्कृतिक शिक्षा के माध्यम से व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास सम्भव हो सके। विद्यार्थी अपनी आन्तरिक प्रवृत्तियों को प्रकट और विकसित करने में सक्षम हो सके। शिक्षा को समाज के लिए बहु-उद्देशीय बनाने का प्रयत्न भी मेरे द्वारा किया जायेगा, जिससे शिक्षित होकर विद्यार्थी समाज और राष्ट्र के उत्थान में अपनी भागीदारी का निर्वाह कर पाने में सक्षम बने। यह हर सम्भव प्रयास किया जायेगा कि शिक्षा द्वारा ही सांस्कृतिक, वैयक्तिक, सामाजिक, नैतिक, भौतिक, उद्देश्यों की पूर्ति सम्भव हो सके। इसके लिए देश के शिक्षित वर्ग, अध्यापक वर्ग, बुद्धिजीवी वर्ग, लेखक, कवि, पत्रकार, अधिकारी वर्ग का सहयोग लेकर शिक्षा को सर्व सुलभ बनाने का भी मेरा प्रयास रहेगा।

देश में आतंक को भी मिटाने का प्रयास शिक्षा के माध्यम से किया जा सकता है, इसके लिए 'अपनी सुरक्षा स्वयं करो' नामक योजना प्राथमिक स्तर से प्रारम्भ किये जाने की सरकार से सिफारिश की जायेगी, जिससे प्रत्येक नागरिक सुरक्षित रह सके। एक जो मुख्य आवश्यकता समाज को विशेष रूप से है इस ओर विशेष ध्यान दिया जायेगा कि क्षेत्र का प्रत्येक पढ़ा लिखा व्यक्ति प्रौढ़ शिक्षा को प्रोत्साहन दे। प्रत्येक व्यक्ति अपने क्षेत्र के अनपढ़ वृद्ध और युवा स्त्री-पुरुषों को पढ़ाने का कार्य करेगा। इसके लिए हर पढ़ाने वाले व्यक्ति को सरकार आर्थिक सहायता प्रदान करेगी और प्रौढ़ों को पढ़ने का भी परिश्रमिक सरकार द्वारा दिया जायेगा। मेरी इस योजना से देश का हर छोटा-बड़ा व्यक्ति शिक्षित होकर अपने देश का नाम विश्व में ऊँचा करने का कार्य करेगा। जब हमारे देश का प्रत्येक व्यक्ति शिक्षित हो जायेगा तो सम्भवतः हमारा देश स्वतः ही उन्नति के शिखर पर चढ़ जायेगा।

उपसंहार

शिक्षा के माध्यम से ही गोस्वामी तुलसीदास ने संसार को रामचरित मानस ग्रंथ प्रदान किया है। अनेक संतों महात्माओं और बुद्धिजीवियों ने समय-समय पर समाज का मार्गदर्शन शिक्षा के माध्यम से ही किया है। मैं भी सर्वशिक्षा अभियान के माध्यम से शिक्षा का ऐसा दीप प्रज्ज्वलित करने का प्रयास करूंगा कि आने वाले युगों तक शिक्षा का प्रकाश समूचे विश्व में प्रकाशमान होता रहे और मेरा भारत देश विश्व-गुरु बनकर समूचे विश्व को शिक्षित करने के स्वप्न को साकार करने में अपनी भूमिका का निर्वाह करता रहे। शिक्षा ही जीवन स्तर के सुधार का सहायक है, शिक्षा ही नैतिक और सैद्धान्तिक विचारों की पोषक है, व्यक्ति का शिक्षित होना ही समाज और राष्ट्र का शिक्षित होना है। इसलिए मेरा प्रयास जारी रहेगा और मैं अपने अटल विश्वास के साथ शिक्षा को हर घर के घर से लेकर विश्व के हर घर में शिक्षा का जयनाद करने का भी संकल्प लेता हूँ।

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