कात्यायनी माता की आरती | Katyayani Mata Aarti in Hindi

Katyayani Mata ki Aarti : माँ दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है। नवरात्रि के छठे दिन इनकी स्तुति व आराधना की जाती है। आज के दिन साधक का मन आज्ञाचक्र में स्थित होता है। योगसाधना में आज्ञाचक्र का महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित साधक कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व अर्पित कर देता है। पूर्ण आत्मदान करने से साधक को सहज रूप से माँ के दर्शन हो जाते है, माँ कात्यायनी की भक्ति से मनुष्य को अर्थ, कर्म, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

Katyayani Mata Aarti in Hindi

कात्यायनी माता की आरती

जय जय अंबे जय कात्यायनी। 
जय जगमाता जग की महारानी॥

बैजनाथ स्थान तुम्हारा। 
वहां वरदाती नाम पुकारा॥ 

कई नाम हैं कई धाम हैं। 
यह स्थान भी तो सुखधाम है॥ 

हर मंदिर में जोत तुम्हारी। 
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी॥ 

हर जगह उत्सव होते रहते। 
हर मंदिर में भक्त हैं कहते॥ 

कात्यायनी रक्षक काया की। 
ग्रंथि काटे मोह माया की॥ 

झूठे मोह से छुड़ानेवाली। 
अपना नाम जपानेवाली॥ 

बृहस्पतिवार को पूजा करियो। 
ध्यान कात्यायनी का धरियो॥ 

हर संकट को दूर करेगी। 
भंडारे भरपूर करेगी॥

जो भी मां को भक्त पुकारे। 
कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥

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katyayani mata ki aarti

नवरात्रि के दिनों मे माँ दुर्गा के भक्त-जन, माँ अम्बे को प्रसन्न करने के लिए श्री दुर्गा सप्तशती पाठ करते हैं, ऐसी मान्यता है कि इससे हर मनोकामना माँ की कृपा से अवश्य ही पूर्ण हो जाती है। 

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