ब्रह्मचारिणी माता की आरती | Brahmacharini Mata ki Aarti Lyrics


Brahmacharini Mata ki Aarti : नवरात्रि के दूसरे दिन माँ दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी माता की स्तुति की जाती है, ब्रह्मचारिणी माँ को अपर्णा नाम से भी जाना जाता है। पूजा के साथ माँ ब्रह्मचारिणी की आरती का पाठ करें। 

नवरात्रि के दिनों में भक्त जन, माँ भगवती दुर्गा को प्रसन्न करने और सिद्धि प्राप्त करने के लिए सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती पाठ करते हैं। जिससे माँ दुर्गा शीघ्र प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करती हैं। 

Brahmacharini Mata Aarti in Hindi

ब्रह्मचारिणी माता की आरती

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Brahmacharini Mata Aarti

जय ब्रह्मचारिणी माँ
मैया जय ब्रह्मचारिणी माँ ।
अपने भक्त जानो पर
करती सदा दया ॥

जय ब्रह्मचारिणी माँ ॥

दर्शन अनुपम मधुरं
साधना रत रहती ।
शिव जी की आरधना
मैया सदा करती ॥

जय ब्रह्मचारिणी माँ ॥

बाहिने हाथ कमंडल
दाहिने में माला ।
रूप जो त्रिमय अद्भुत
सुख देने वाला ॥

जय ब्रह्मचारिणी माँ ॥

देवऋषि मुनि साधु
गुण माँ के गाते ।
शक्ति स्वरूपा मैया
सबकुछ तुझको ध्याते ॥

जय ब्रह्मचारिणी माँ ॥

संजम तब वैराग्य
प्राणी वो पाता ।
ब्रह्मचारिणी माँ को
निशिदिन जो ध्याता ॥

जय ब्रह्मचारिणी माँ ॥

नवदुर्गाओं में मैया
दूजा तुम्हारा स्वरूप ।
स्वेत वस्त्र धारिणी माँ
ज्योतिर्मय तेरा रूप ॥

जय ब्रह्मचारिणी माँ ॥

दूजे नवरात्रे मैया
जो तेरा व्रत धरे ।
करके दया जगजननी
तू उसको तारे ॥

जय ब्रह्मचारिणी माँ ॥

शिव प्रिय शिवा ब्राह्मणी
हमपे दया करियो ।
बालक है तेरे ही
दया दृष्टि रखियो ॥

जय ब्रह्मचारिणी माँ ॥

शरण तिहारी आये
ब्रम्हाणी माता ।
करुणा हमपे दिखाओ
शुभ फल की दाता ॥

जय ब्रह्मचारिणी माँ ॥

माँ ब्रह्मचारिणी की आरती
जो कोई गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी
मनवांछित फल पावे ॥

जय ब्रह्मचारिणी माँ ॥

जय ब्रह्मचारिणी माँ
मैया जय ब्रह्मचारिणी माँ ।
अपने भक्त जानो पर
करती सदा दया ॥

नवरात्रि के द्वितीय दुर्गा माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा स्तुति में कुछ भक्त जन इस आरती के अतिरिक्त जय अम्बे ब्रहमचारिणी माता आरती का गायन करते हैं। इसलिए माँ ब्रहम्चारिणी की दूसरी आरती भी निमन्वत प्रकाशित है। 

Jay Ambe Brahmacharini Mata... Aarti

जय अंबे ब्रह्मचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता॥ 

ब्रह्म जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो॥

ब्रह्म मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा॥ 

जय गायत्री वेद की माता।
जो जन निस दिन तुम्हें ध्याता॥

कमी कोई रहने ना पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने॥

जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर॥

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना॥ 

मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्मचारिणी तेरो नाम। पूर्ण करो सब मेरे काम॥

भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी॥ 

Brahmacharini mata Aarti image

brahmacharini mata ki aarti


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