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विश्व विकलांग दिवस पर निबन्ध | Essay on World Disabled Day in Hindi

विश्व विकलांग / दिव्यांग दिवस पर निबन्ध | Essay on World Disabled Day in Hindi

Vishva viklang diwas par nibandh, essay on world disabled day in hindi

संकेत बिंदु– (1) विकलांगता अभिशाप (2) विकलांगता के कारण (3) विभिन क्षेत्रों में विकलांगों की उपलब्धि (4) भारत सरकार के कल्याणकारी योजनाएँ (5) उपसंहार।

विकलांगता अभिशाप

विकलांगता का अभिशाप प्रकृति ने प्रत्येक राष्ट्र को दिया है। यह अलग बात है कि शाप का प्रभाव विकसित राष्ट्रों में कम पड़ा हो और विकासशील राष्ट्रों में अधिक। इसलिए यह विश्व समस्या है। विश्व समस्या होने के नाते संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस शाप से मुक्ति अपना दायित्व समझा और प्रत्येक वर्ष 3 दिसम्बर को विश्व विकलांग दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। इसलिए विकलांगता के प्रति चिन्तन मनन का दिन है, 3 दिसम्बर।

12 दिसम्बर 1995 को संसद में पारित विकलांग की परिभाषा के अनुसार विकलांगता का अर्थ नेत्रहीन, अल्प दृष्टि, कुष्ठ रोग युक्त, श्रवण दोष, चलन, अपंगता, मानसिक मंदता तथा मानसिक रोग है। विकलांग व्यक्ति को किसी चिकित्सा प्राधिकारी द्वारा प्रमाणित किया जाए कि वह 40 प्रतिशत से कम विकलांग नहीं है।

विकलांगता के कारण

विकलांगता या अंग विकृति जन्मतः भी होती है, कोई दुर्घटना भी अंग भंग का कारण बन सकती है और कभी कभी समाज विरोधी तत्त्व भी बच्चों को विकलांग बना देते हैं– जैसे बच्चों से भीख मँगवाने के लिए उनकी आँख फोड़ दी जाती हैं। अज्ञानता, अंधविश्वास तथा गरीबी भी अपंगता का कारण हैं । स्वास्थ्य के प्रति उपेक्षा या ठीक ठीक उपचार करने की असमर्थता विकलांगता में वृद्धि करते हैं।

जन्मजात विकलांगता का अधिकांश कारण स्त्री के गर्भवती होने की अवस्था में विटामिन तथा पौष्टिक भोजन की कमी, गर्भावस्‍था में शिशु पालन शिक्षा का अभाव, अधिक तथा कठोर कार्य को प्रवृत्ति या विवशता तथा कामान्धता है। गाँवों में इसका कारण अज्ञानता, अन्धविश्वास तथा गरीबी है। आग बुझाने वाले कर्मचारी सबसे पहले आग की घेराबन्दी करके उसे फैलने से रोकते हैं, उसी प्रकार गर्भावस्‍था में हो शिशु की विकलांगता को रोकना चाहिए।

विभिन्न क्षेत्रों में विकलांगों की उपलब्धि

भारतीय संसद्‌ ने 12 दिसम्बर 1995 में विकलांगों को समान अवसर, सुरक्षा और समता दिलवाने के लिए एक कानून बनाया। 7 फरवरी 1996 को अधिसूचित किया गया। इस अधिनियम का उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों को सुविधाएं, सेवाएं प्रदान करने के लिए केन्द्रीय और राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों का दायित्व निर्धारण करना है, जिससे वे देश के उत्पादन व उपयोगी नागरिक के रूप में समान अवसर के लिए भागीदार बन सकें।

इच्छा शक्ति विकलांग को उसका आभास नहीं होने देती। विश्व में ऐसे विकलांग भी हैं, जिन्होंने अपने अदम्य साहस, संकल्प और उत्साह से विश्व इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों पर अपन नाम लिखवाया है। काल के भाल पर अपने पद चिह्न अंकित किए हैं।

मध्य एशिया का शक्तिशाली शासक तैमूर लंग हाथ और पैर से शक्ति हीन था। सिख राज्य की स्थापना करने वाले महाराणा रणजीतसिंह एक आँख बचपन में ही खो चुके थे। मेवाड़ के राजा सांगा तो बचपन में एक आँख गवाने तथा युद्ध में एक हाथ एक पैर तथा 80 घावों के बावजूद भारत के इतिहास पुरुष बने। अमरीका के 32वें यशस्वी राष्ट्रपति फ्रेंकलिन रूजवेल्ट दो बार राष्ट्रपति चुनाव जीते। संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन में उनका विराट्‌ योगदान भुलाया नहीं जा सकता जबकि पोलियो माइलिटिस के कारण उनके दोनों पैरों की शक्ति समाप्त हो चुकी थी।

गीत, संगीत और नृत्य के क्षेत्र में अनेक विकलांग चिर स्मरणीय हस्तियाँ हुई हैं। शास्त्रीय नृत्य भरत नाट्यम्‌ की प्रसिद्ध नृत्यांगना सुधा चंद्रन दायीं टाँग विहीन थीं। फिल्‍मी गीतकार कृष्णचन्द्र डे तथा संगीतकार रवीन्द्र जैन नयन विहीन हैं। जर्मनी के पियानो वादक बीथोवन श्रवण हीनता के शिकार थे। चित्र कला में भारत प्रसिद्ध प्रभाशाह तीन वर्ष की आयु में सुनने की शक्ति खो बैठी थीं।

खेल जगत से जुड़े तैराक तारानाथ शिनॉय मूक बधिर थे। 26 सितम्बर 1983 को इंग्लिश चैनल पार कर उन्होंने विश्व प्रसिद्ध तैराकों में नाम लिखवाया। क्रिकेट के शानदार पूर्व गेंदबाज अंजन भट्टाचार्य मूक बधिर हैं।

मलयाली साहित्यकार वल्‍लतोल नारायण श्रवण शक्ति से हीन थे। हिन्दी के सम्पादक तथा साहित्यकार डॉ. रघुवंश सहाय वर्मा हाथों की लाचारी के कारण पैरों से लिखते हैं। हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार राजेन्द्र यादव बैसाखी पर चलते हैं । 'शुभतारिका' मासिक के सम्पादक और कहानी महाविद्यालय, अम्बाला छावनी के सफल संचालक डॉ. महाराज कृष्ण जैन के लिए व्हील चेयर प्राण है।

भारत सरकार के कल्याणकारी योजनाएँ

विकलांग व्यक्तियों के कल्याण के लिए भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं | जैसे– मूक बधिर तथा मानसिक रूप से बधिर बच्चों के लिए विद्यालय एवं छात्रावास की सुविधाएं।

मिशन के रूप में विज्ञान व प्रौद्योगिकी परियोजना 1988 में शुरू कौ गई थी, जिसका उद्देश्य नई प्रौद्योगिकियों वाले उचित व किफायती सहायक यंत्रादि उपलब्ध कराना, सचलता बढ़ाना और विकलांगों के लिए रोजगार अवसर बढ़ाना है। विकलांग व्यक्तियों के लिए सेवाएं उपलब्ध कराने में स्वयंसेवी क्षेत्र को प्रोत्साहन देना इन सेवाओं में विकलांगता की रोकथाम तथा इनका जल्दी पता लगाना, शिक्षा, प्रशिक्षण, विकलांग व्यक्तियों का भौतिक व आर्थिक पुनर्वास शामिल है।

विकलांगता दिवस पर विकलांग सेवा प्रोत्साहनार्थ सरकार ने निम्न आठ प्रकार के पुरस्कार योजना का श्री गणेश किया है–

(1) विकलांग व्यक्तियों के सर्वश्रेष्ठ नियोक्ता। 
(2) सर्वश्रेष्ठ विकलांग कर्मचारी और स्वनियोजित व्यक्ति। 
(3) उत्कृष्ट सृजनशील व्यक्ति। 
(4) विकलांगों के कल्याण के लिए काम करने वाला सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति। 
(5) विकलांगों के कल्याण के लिए काम करने वाला सर्वश्रेष्ठ संस्थान।
(6) प्लेसमेंट अधिकारी। 
(7) अवरोधमुक्त वातावरण का निर्माण तथा 
(8) विकलांगों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पुरस्कार।

उपसंहार

समाज में विकलांगों के प्रति दृष्टिकोण को बदलना उनके प्रति महान्‌ उपकार होगा। विकलांग दया के पात्र नहीं, रहमो करम के काबिल नहीं, वे भी तो समाज के अंग हैं। सम्मानपूर्ण जीवन जीने का उन्हें भी अधिकार दिलाना होगा। यह तब ही सम्भव है जब हम उनके प्रति सच्ची सहानुभूति की दृष्टि रखें। यथासम्भव उन्हें सहयोग दें। अन्धे को सड़क पार करवाकर, उसके मार्ग को सुलभ बनाकर हम अपना कर्तव्य पूरा कर सकते हैं। विक्षिप्त और अर्ध पागल की बड़बड़ाहट की ओर ध्यान न दें, उसे रोकें नहीं। गूँगे बहरे का मजाक न उड़ाएँ। दूसरी ओर, समाज द्रोही तत्त्वों को, जो बच्चों से भीख मँगवाने के लिए उनका अंग भंग कर देते हैं, कठोरतम दण्ड का प्रावधान करवाना होगा।

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