मानव जीवन में वनों की उपयोगिता- Importance of Forests in Human life in hindi
इस निबन्ध के अन्य शीर्षक–
- वन संरक्षण का महत्व
- वनों के लाभ
- भारत की वन सम्पदा
रूपरेखा
1. प्रस्तावना, 2. वनों की उपयोगिता, 3. वर्षा की प्राप्ति, 4. लकड़ी की प्राप्ति, 5. अमूल्य औषधियाँ, 6. अन्य लाभ, 7. आध्यात्मिक लाभ, 8. उपसंहार।
प्रस्तावना–
मानव को अपनी शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भौतिक साधनों की आवश्यकता पड़ती है। भोजन की पूर्ति के लिए उसे अन्न, दाल, सब्जी, फल आदि की, शरीर ढांपने के लिए वस्त्रों की और निवास के लिए घर की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त अस्वस्थ होने पर औषधियाँ भी जीवन के लिए आवश्यक हो जाती है। वह अपनी इन आवश्यकताओं की पूर्ति प्राकृतिक साधनों की सहायता से परिश्रम करके करता है। प्रकृति का चक्र कुछ ऐसा होता है कि जिन वस्तुओं की आवश्यकता जीवन के लिए अनिवार्य है, प्रकृति उन्हें स्वयं ही उपलब्ध करा देती है। इन साधनों को, जो मानव के भौतिक पक्ष की आवश्यकता की पूर्ति करते हैं, हम प्राकृतिक स्रोत कहते हैं।
वनों की उपयोगिता-
वन एक प्राकृतिक स्रोत हैं जो मनुष्य के जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। यह अमूल्य सम्पदा है जिसके बिना मानव जीवन खतरे में पड़ जायेगा। वनों से हमें इतनी सामग्री उपलब्ध होती है कि हमारे जीवन का कोई भी भाग वनों के प्रभाव से अछूता नहीं कहा जा सकता, इसलिए भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही वनों को अत्यधिक महत्त्व दिया गया है। अब हम इस बात पर विचार करेंगे कि वनों से मनुष्य को किस-किस विशिष्ट क्षेत्र में उपलब्धियाँ होती हैं।
वर्षा की प्राप्ति-
सर्वप्रथम वन किसी भी स्थान पर होने वाली वर्षा के लिए उत्तरदायी होते हैं, जितने घने किसी देश में वन होंगे, उतनी ही अधिक मात्रा में वहाँ वर्षा होगी। भारत जैसे कृषि-प्रधान देश तो वर्षा का अत्यधिक महत्त्व है। इसराइल जैसे बंजर देश में भी 'वृक्ष लगाओ' अभियान के द्वारा भारी वन खड़े कर लिए गये हैं और परिणाम यह हुआ है कि अब वहाँ पर्याप्त मात्रा में अन्न एवं फलादि पैदा होने लगे हैं अतः स्पष्ट है कि किसी देश में वर्षा की पूर्ति वहाँ के लम्बे और घने वनों पर निर्भर करती है।
लकड़ी की प्राप्ति-
हमारे जीवन में लकड़ी का स्थान लोहे के बराबर है। भौतिक जीवन में लकड़ी के इतने अधिक सामान का उपयोग किया जाता है कि उसके अभाव में मानव का जीवन कठिन हो जायेगा और जीवन की अधिकांश सुख-सुविधाएँ समाप्त हो जाएँगी। घरों में लगाने के लिए दरवाजे और बैठने व लेटने के लिए कुर्सी, मेज, पलंग आदि, सामान लकड़ी से ही बनता है और वह लकड़ी हमें वनों से उपलब्ध होती है। यातायात में सुविधा के लिए बहुत से पुल लकड़ी से भी बनते हैं। रेलगाड़ियों, पटरियों तथा नौकाओं और जलपोतों आदि में लकड़ी का बहुत अधिक प्रयोग होता है। ईंधन तथा दैनिक उपयोग की सभी वस्तुओं में लकड़ी की भारी उपयोगिता है। कहने की आवश्यकता नहीं कि लकड़ी के लिए हमें पूर्णतया वनों पर ही निर्भर रहता पड़ता है।
अमूल्य औषधियाँ-
वनों से हमे अनेक औषधियाँ भी मिलती हैं। वृक्षों की छाल से जंगली फलों से पूत्तों और जड़ी-बूटियों से विभिन्न रोगों में काम आने वाली औषधियां बनती हैं। वास्तव में वनों से प्राप्त औषधियों से अनेक असाध्य रोगों की चिकित्सा सम्भव है। आधुनिक वैज्ञानिक प्रयोगों से यह सिद्ध हो चुका है कि वनों से प्राप्त अनेक फल-फूल आदि बिना रासायनिक प्रक्रिया के ही कैसर जैसे भयंकरः रोगों को नष्ट करने में सहायक होते है। इस विषय मे आगे भी शोध जारी है, तथा नयी-नयी औषधियों की उत्पत्ति के लिए वनों की उपयोगिता और भी बढ़ती जा रही है।
अन्य लाभ-
वनों से एक ओर वर्षा होती है तो दूसरी ओर वर्षा के पानी के साथ मिटटी का अपरदन रुकता है। मिट्टी का कटाव अधिक होने से बाढ़ आने का भय बढ़ जाता है। इस प्रकार वन बाढ़ से सुरक्षा के लिए भी उपयोगी सिद्ध होते है इसीलिए भारत के उन भागों में जहाँ बाढ़ का भयंकर प्रकोप होता है, तेजी ते वृक्ष लगाये जाने पर बल दिया जा रहा है। वनों में भाभड़ आदि की उपज भी पर्याप्त होती है, जिसका प्रयोग कागज जैसी बहुमूल्य वस्तुएँ बनाने में होता है। इससे सरकार को भी प्रतिवर्ष भारी आय होती है। इस प्रकार वन राजकीय आय के भी अच्छे स्रोत हैं।
आध्यात्मिक लाभ-
भौतिक जीवन के अतिरिक्त मानसिक एवं आध्यात्मिक पक्ष में भी वनों का महत्त्व कुछ कम नहीं है। सांसारिक जीवन से क्लान्त मनुष्य यदि वनों में कुछ समय निवास करते हैं तो उन्हें सन्तोष तथा मानसिक शान्ति प्राप्त होती है। इसीलिए हमारी प्राचीन संस्कृति में तीर्थयात्रा का विधान किया गया था। इसीलिए हमारे प्राचीन ऋषि-मुनि वनों में ही निवास करते थे तथा अपना सारा समय चिन्तन-मनन में ही व्यतीत किया करते थे। इस प्रकार भारतीय जीवन में ज्ञान-विज्ञान के नये आयामों की खोज वनों में ही हुई।
उपसंहार-
किसी भी दृष्टि से देखिए, मानव जीवन में वनों की उपयोगिता अत्यधिक है; किन्तु स्वार्थी इन उपयोगी वनों को काटकर अपने भविष्य को संकटमय बना रहा है। इसलिए विश्वभर में अब वनों के संरक्षण पर बल दिया जा रहा है। एक निश्चित सीमा से अधिक वनों को काटने पर रोक लगा दी गयी। भारत में वन संरक्षण के साथ-साथ 'वृक्ष लगाओ' अभियान भी सरकार द्वारा चलाया जा रहा है ताकि जितनी संख्या में वृक्ष कटें, उतनी ही संख्या में नये वृक्ष तैयार हो जाएँ, प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह वनों की सुरक्षा पर पूर्ण ध्यान दें जिससे राष्ट्रीय तथा आर्थिक जीवन समृद्ध हो सके।

