दूरदर्शन पर निबन्ध | Essay on Television in Hindi

दूरदर्शन पर निबन्ध | Essay on Television in Hindi

दूरदर्शन पर निबन्ध | Essay on Television in Hindi

इस निबन्ध के अन्य शीर्षक-

  • दूरदर्शन की उपयोगिता
  • दूरदर्शन और भारतीय समाज
  • मेरे जीवन पर दूरदर्शन का प्रभाव
  • दूरदर्शन और समाज
  • दूरसंचार में क्रान्ति
  • दूरदर्शन : हानि-लाभ
  • दूरदर्शन : दशा एवं दिशा
  • दूरदर्शन का युवा पीढ़ी पर प्रभाव

रूपरेखा–

1. प्रस्तावना, 2. दूरदर्शन का स्वरूप, 3. दूरदर्शन का महत्व, 4. दूरदर्शन से हानियाँ, 5. उपसंहार।

प्रस्तावना

आज का युग विज्ञान का युग कहलाता है। आज विज्ञान उन्नति के शिखर पर पहुँच रहा है। वैज्ञानिकों ने अपने विविध एवं अद्भूत आविष्कारों से संसार को चकित कर दिया है। मनुष्य जीवन तथा प्रकृति के सभी क्षेत्रों में विज्ञान अपने आविष्कारों द्वारा चमत्कार पर चमत्कार उत्पन्न करता जा रहा है। जहाँ विज्ञान ने मनुष्य को अनेक भौतिक सुख-सुविधाएँ प्राप्त करायी, वही पर मनोरंजन के भी अनेक साधन उपलब्ध कराएं हैं। इनमें भी आजकल दूरदर्शन (टेलीविजन) का विशेष महत्व है। यह एक बहुत ही चर्चित एवं लोकप्रिय साधन बनता जा रहा है।

दूरदर्शन का स्वरूप

दूरदर्शन एक अद्भुत यन्त्र है। रेडियो से तो हम केवल दूर की आवाज ही सुन सकते हैं, किन्तु दूरदर्शन से हम आवाज के साथ दूर स्थित व्यक्तियों एवं दृश्यों आदि को प्रत्यक्ष रूप से देख भी सकते हैं जो बहुत ही अद्भुत बात है। यह रेडियो का ही एक विकसित रूप है। रेडियो की ही भाँति प्रमुख स्थानों पर टेलीविजन के केन्द्र बने हुए हैं, जहाँ से ट्रांसमीटरों द्वारा दूर स्थित टेलीविजन सेटों पर कार्यक्रम प्रेषित किये जाते हैं। टेलीविजन के सैट रेडियो ही जैसे उससे कुछ बड़े आकार के होते है जिनमे चलचित्र की भाँति सामने पर्दा होता है जिस पर दृश्य दिखाई देते हैं। रेडियो के एरियल की भाँति इसका भी एक बड़ा सा एण्टीना होता है, जिसे मकान के ऊपर छत पर लगा दिया जाता है।

दूरदर्शन का महत्व

दूरदर्शन का महत्त्व स्वतः सिद्ध हैं। यह एक साथ रेडियो, सिनेमा, ग्रामोफ़ोन आदि सबका काम अकेला ही कर देता है। दूरदर्शन पर सप्ताह में दो-तीन बार अच्छी-अच्छी फिल्‍में दिखाई जाती हैं; अतः सिनेमाघरों में जाने की आवश्यकता नहीं रही। हम घर बैठे ही सिनेमा का आनन्द दूरदर्शन पर ले सकते हैं। चित्रहार आदि के विभिन्‍न कार्यक्रमों से दूरदर्शन पर एक से एक सुंदर गीत प्रत्यक्ष रुप से देखने को मिलते हैं।

इसके अतिरिक्त अनेक कृषि सम्बन्धी, उद्योग से सम्बन्धित, विभिन्न विकासों से सम्बंधित, समाचार तथा खेलों आदि से सम्बन्धित कार्यक्रम टेलीविजन पर दिखाये जाते हैं, जिनसे मनोरंजन के साथ-साथ हमें विविध ज्ञान की प्राप्ति होती है, जिससे हम बहुमुखी विकास कर सकते है। साथ ही दूरदर्शन शिक्षा का भी बड़ा सुन्दर साधन है। इससे विभिन्‍न प्रकार के छात्रोपयोगी पाठ भी प्रसारित किए जाते है। यह विज्ञापन का भी ऐक बड़ा सुन्दर साधन है। इसके द्वारा व्यापारी लोग अपनी वस्तुओं का आकर्षक ढंग से विज्ञापन कर सकते हैं। यह राजनीतिक प्रचार का भी बड़ा सुन्दर और आसान माध्यम है। इसके द्वारा हम अपने नवीन विचारों को जन-जन तक आसानी से पहुँचा सकते हैं। दूरदर्शन पर अपने काव्य, नाटक तथा एकांकी आदि का भी प्रदर्शन किया जाता है। इससे साहित्य की भी बहुत उन्नति होती है। इस प्रकार जीवन तथा कला के क्षेत्रों में इसके अनेक लाभ हैं।

दूरदर्शन से हानियाँ

दूरदर्शन के जहाँ अनेक लाभ हैं, वहीं कुछ हानियाँ भी है। सर्वप्रथम तो यह एक अत्यन्त महँगा यंत्र है। जो साधारण स्थिति के व्यक्ति के लिए सुलभ नहीं है। दूसरे हर समय टी. वी. मे ही ध्यान रहने से समय बहुत नष्ट होता है, विशेष कर युवक-युवतियों के चरित्र पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। युवा पीढ़ी की चित्तवृत्तियां दूषित होती हैं। हत्या, बलात्कार, चोरी डकैती आदि का बढ़ना दूरदर्शन के हीं कुप्रभावों मे है। रुग्ण मानसिकता वाले समाजकण्टक इन्हें अपनाकर अर्थोपार्जन करने के लिए जघन्य अपराध करने से नहीं चूकते हैं। बहुत छोटी आयु के बालक-बालिका भी भद्दे-अश्लील गीत गाने सुन जाते हैं। दूरदर्शन अधिक देखने से दर्शकों की आँखों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।

उपसंहार-

इन कुछ हानियों के होते हुए भी दूरदर्शन का महत्त्व हमारे जीवन में बढ़ता जा रहा है। इसलिए सरकार भी जगह-जगह दूरदर्शन के केन्द्र खोलती जा रही है। जिससे जनसाधारण को सर्वत्र दूरदर्शन की सुविधाएँ प्राप्त हो सकें। साथ ही सस्ते टी०बी० सैट भी बनने लगे हैं, जिन्हें साधारण स्थिति के लोग भी खरीद सकें। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक-स्थानों पर दूरदर्शन सेट लग रहे हैं जो सर्वसाधारण के उपयोग की वस्तु होगी। सरकार की ओर से प्रत्येक गांव में कुछ दूरदर्शन सेटों की व्यवस्था करने की भी योजना है।

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