तुलसीदास के अनमोल विचार और कथन | Best Inspirational Quotes of Tulsidas in Hindi

Goswami Tulsidas Quotes in Hindi- रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने मानव जीवन पर सुधार के लिए बहुत से दोहे लिखे हैं। जिनके कथन अवश्य ही आपके जीवन को सही दिशा में निर्देशित करेंगे। सर्वप्रिय तुलसीदास एक परम ज्ञानी कवि हैं, जिनका हिन्दी साहित्य मे अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है। 

  1. सुंदर वेष देखकर न केवल मूर्ख अपितु चतुर मनुष्य भी धोखा खा जाते हैं। सुंदर मोर को ही देख लो उसका वचन तो अमृत के समान है लेकिन आहार साँप का है। -आचार्य तुलसी
  2. हे मनुष्य ,यदि तुम भीतर और बाहर दोनों ओर उजाला चाहते हो तो मुखरूपी द्वार की जीभरुपी देहलीज़ पर राम-नामरूपी मणिदीप को रखो। - आचार्य तुलसी
  3. शत्रु को युद्ध में उपस्थित पा कर कायर ही अपने प्रताप की डींग मारा करते हैं। - आचार्य तुलसी
  4. स्वाभाविक ही हित चाहने वाले गुरु और स्वामी की सीख को जो सिर चढ़ाकर नहीं मानता ,वह हृदय में खूब पछताता है और उसके हित की हानि अवश्य होती है। - आचार्य तुलसी
  5. मुखिया मुख के समान होना चाहिए जो खाने-पीने को तो अकेला है, लेकिन विवेकपूर्वक सब अंगों का पालन-पोषण करता है। - आचार्य तुलसी
  6. मंत्री, वैद्य और गुरु - ये तीन यदि भय या लाभ की आशा से (हित की बात न कहकर) प्रिय बोलते हैं तो (क्रमशः) राज्य,शरीर एवं धर्म – इन तीन का शीघ्र ही नाश हो जाता है। - आचार्य तुलसी
  7. मीठे वचन सब ओर सुख फैलाते हैं। किसी को भी वश में करने का ये एक मन्त्र होते हैं इसलिए मानव को चाहिए कि कठोर वचन छोडकर मीठा बोलने का प्रयास करे। - आचार्य तुलसी
  8. जो मनुष्य अपने अहित का अनुमान करके शरण में आये हुए का त्याग कर देते हैं वे क्षुद्र और पापमय होते हैं। दरअसल ,उनका तो दर्शन भी उचित नहीं होता। - आचार्य तुलसी
  9. मनुष्य को दया कभी नहीं छोड़नी चाहिए क्योंकि दया ही धर्म का मूल है और इसके विपरीत अहंकार समस्त पापों की जड़ होता है। मनुष्य को दया कभी नहीं छोड़नी चाहिए क्योंकि दया ही धर्म का मूल है और इसके विपरीत अहंकार समस्त पापों की जड़ होता है। मनुष्य को दया कभी नहीं छोड़नी चाहिए क्योंकि दया ही धर्म का मूल है और इसके विपरीत अहंकार समस्त पापों की जड़ होता है। - आचार्य तुलसी
  10. प्रलोभन और भय का मार्ग बच्चों के लिए उपयोगी हो सकता है। लेकिन सच्चे धार्मिक व्यक्ति के दृष्टिकोण में कभी लाभ हानि वाली संकीर्णता नहीं होती। - आचार्य तुलसी
  11. मनुष्य की धार्मिक वृत्ति ही उसकी सुरक्षा करती है। - आचार्य तुलसी
  12. धार्मिक व्यक्ति दुःख को सुख में बदलना जानता है। - आचार्य तुलसी
  13. धार्मिक वृत्ति बनाये रखने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं हो सकता और धार्मिक वृत्ति को खोने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता। - आचार्य तुलसी
  14. आग्रह हर समन्वय को कठिन बनाता है, जबकि उदारता उसे सरल। - आचार्य तुलसी
  15. लक्ष्य निश्चित हो, पाव गतिशील हों तो मंजिल कभी दूर नहीं होता।- आचार्य तुलसी
  16. धर्म का काम किसी का मत बदलना नहीं , बल्कि मन बदलना है। - आचार्य तुलसी
  17. सफलता का सबसे बड़ा सूत्र है व्यक्ति का अपना पुरुषार्थ।- आचार्य तुलसी
  18. मानव वह होता है जो नए पाठ का निर्माण करे। - आचार्य तुलसी
  19. भावी पीड़ी को संस्कारी बनाए रखना विकास की सशक्त शृंखला है। - आचार्य तुलसी
  20. चिंता नहीं चिंतन करो- आचार्य तुलसी
  21. जनता सरकार को बनाती है, सरकार जनता को नही। इसलिए सरकार के पिछलग्गू मत बनो। हर छोटे मोटे कार्य हेतु सरकार की मेहरबानियो के गुलाम मत बनो । - आचार्य तुलसी
  22. जो होना है उसे कोई रोक नहीं जा सकता इसलिए आप सभी आशंकाओं के तनाव से मुक्त होकर अपना काम करते रहो। - आचार्य तुलसीदास

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