समय सबसे बड़ा धन है सूक्ति पर निबंध

समय सबसे बड़ा धन है सूक्ति पर निबंध 

संकेत बिंदु- (1) संतों व विद्वानों के विचार (2) समय का महत्त्व (3) मानव की बहुमूल्य निधि (4) समय की गति पहचानने वाला भाग्यशाली (5) उपसंहार

संतों व विद्वानों के विचार

समय जगत्-नियन्ता से भी शक्तिशाली है। रूठे हुए प्रभु को आराधना, तप, भक्ति से पुनः मनाया जा सकता है। गीता में श्रीकृष्ण इसका समर्थन करते हैं, 'स्वकर्मणा तमभ्यर्च्य सिद्धिं विन्दति मानवः।' अपने-अपने कर्मों के द्वारा ईश्वर की पूजा करने से मनुष्य सिद्धि को प्राप्त होता है। दूसरी ओर रूठा हुआ कल अर्थात् बीता हुआ समय कोटि उपाय करने पर नहीं बुलाया जा सकता, उसे प्रसन्न नहीं किया जा सकता।

समय का महत्त्व

डिकेन्स का कथन है, 'कोई ऐसी घड़ी नहीं बना सकता, जो मेरे बीते हुए घंटों को फिर से बजा दे।' समय की कीमत कौन आँक सकता है ? हाँ, समय पर काम न करने की क्षति का अनुभव सबको कभी न कभी अवश्य होता है?

मानव की बहुमूल्य निधि

समय मानव की बहुमूल्य निधि है। समय हृदय पर लगी चोट को सहलाता है, मानव के आँसू पोंछता है, दिल पर लगे घावों को भरता है- 'Time is the best healer'. युद्ध की विभीषिकाएँ समय के साथ समाप्त हो जाती हैं। ईर्ष्या, राग, द्वेष, घृणा, विद्रोह रूपी मनोविकार समय के साथ शान्त हो जाते हैं। समय की यह महानता चुनौती-रहित कार्य है, जो 'समय ही सबसे बड़ा धन है', इस अटल सत्य को स्वीकार कराता है।

मानवीय तृष्णाएँ समाप्त नहीं होती, मानव समाप्त हो जाता है। मानव के पास इतना समय है कि वह बीतता नहीं, मानव ही बीत जाता है। कैसी विडम्बना है ? समय को नष्ट करने वालों को समय ही नष्ट कर देता है।

इहलोक का हर प्राणी किसी न किसी कारण चिन्तित है, किन्तु समय को किसी की चिन्ता नहीं। उसे किसी की प्रतीक्षा नहीं। वह तो तीव्र गति से अबाध बह रहा है । समय की गति को पहचान कर कार्य करने वाला भाग्यशाली है, धनी है, सिद्ध पुरुष है। समय जब द्वार पर दस्तक देता है, उसकी आवाज को सुनने के लिए सतर्क रहने वाले लाभ उठा गए, जो दैव-दैव पुकारते रहे, वे जीवन में पिछड़ गए। समय रूपी अश्व की दुलत्तियों ने उन्हें धूल चटा दी।

समय की अवहेलना करने वाला समय की मार से कब बचा है ? स्वतन्त्रता-पूर्व हिन्दू दौर्बल्य ने भारत माता का विभाजन करवा दिया। समय की अवहेलना के कारण ही आज साम्प्रदायिकता सिंह-गर्जन कर रही है और भारत-सरकार उससे बचने के लिए कन्दरा में छिप रही है। रोम जल रहा है, नीरो बंसी बजा रहा है।

श्रीमद् आद्यशंकराचार्य का कथन है- 'समय को व्यर्थ खोना जीवन की अपूरणीय हानि है।' 'काव्यशास्त्र विनोदेन कालो गच्छति धीमताम्। व्यसनेन तु मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा' -बुरे कार्यों, निद्रा, लड़ाई-झगड़े में समय की बरबादी मूर्खता की निशानी है। समय काटे नहीं कटता, 'कोई कार्य नहीं', ऐसा सोचना मस्तिष्क की शून्यता है। मस्तिष्क की शून्यता अर्थात् विवेकहीनता, जो शैतान का घर है।

समय की गति पहचानने वाला भाग्यशाली 

सम्पूर्ण जीवन में समय ही ऐसा तत्त्व है जो मनुष्य के भाग्य पर दस्तक देता है। उठो और मुझे पहचानो। मेरा लाभ उठाकर जीवन को धन्य करो। समय रूपी अमृत बहता जा रहा है। सम्भव है प्यास बुझाने का अवसर फिर न मिले। इसलिए समय को सबसे बड़ा धन कहा गया है।

मृत्यु जीवन का अंत है। आत्मा का शरीर से विसर्जन है। इस विसर्जन का अधिकार किसे है ? यह महत्त्वपूर्ण तत्त्व क्या है ? कल्हण इसका उत्तर देते हुए कहते हैं- 'समय'। 

न भवेत् पविपातेऽपि प्रलयः समयं विना।
प्रसूनमप्यसून् हन्ति जन्तो प्राप्तावधे पुनः॥

(राजतरंगिणी, 8/531)

समय आए बिना वज्रपात होने पर भी मृत्यु नहीं होती है और समय आ जाने पर पुष्प भी प्राणी का प्राण ले लेता है।

समय का मूल्यांकन करते हुए एडमंड वर्क का कहना, 'The great instructor time'. अर्थात् महान् शिक्षक समय। बेकन लिखते हैं- 'Time, which is the author of authors.' समय: जो लेखकों का भी लेखक है। शेक्सपीयर का तो यहाँ तक विश्वास है, 'The sprit of the time shall teach me speed.' समय की आत्मा मुझे गति सिखा देगी। क्योंकि शेक्पीयर शब्द को अश्रव्य और निःशब्द चरण मानते हैं। 'The inaduible and noiceless foot of time.'

अथर्ववेद ने समय का मूल्यांकन इस प्रकार किया है- 'समय सात प्रकार की किरणों वाले सूर्य के समान शासन करने वाला, अजर अर्थात् कभी वृद्ध न होने वाला तथा महाबलशाली है।समय सदा गतिशील घोड़े के समान है। बुद्धिमान् लोग इसे अपना वाहन बनाते हैं, क्योंकि वह सर्वव्यापक है तथा भिन्न-भिन्न परिस्थितियों के कारण रंग बदलता है।'

उपसंहार

समय सत्य का पथ-प्रदर्शक है। समय की पाबन्दी सुशीलता का चिह्न है, सफलता की कुंजी है। कल का काम आज निपटाना यशस्वी बनने का साधन है। समय का उचित उपयोग समय की बचत है, सफलता की कुंजी है इसलिए समय सबसे बड़ा धन है।

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