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विज्ञान वरदान या अभिशाप निबंध – Essay On Science boon or curse in Hindi

विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध- Essay on Science boon or curse in Hindi

Vigyan vardaan ya abhishap

इस निबंध के अन्य शीर्षक-

  • विज्ञान का सदुपयोग 
  • हमारी वैज्ञानिक उपलब्धियां 
  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण संतुलित समाज का आधार 
  • विज्ञान वरदान है या अभिशाप 
  • भारत की वैज्ञानिक प्रगति 
  • विज्ञान के बढ़ते चरण 
  • विज्ञान के बढ़ते चरण 
  • राष्ट्रीय विकास मे विज्ञान का योगदान 
  • भारतीय कृषि मे विज्ञान का योगदान 

रूपरेखा–

  1. प्रस्तावना,
  2. यन्त्र विज्ञान की देन,
  3. मनोरंजन एवं ज्ञान में वृद्धि,
  4. मौसम एवं अन्तरिक्ष विज्ञान,
  5. औषधि विज्ञान एवं सर्जरी की देन,
  6. मानव–कल्याण,
  7. भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियाँ,
  8. उपसंहार।
“जीवन आजकल विज्ञान के आविष्कारों से नियन्त्रित होता है। जीवन में उनके अनुसार परिवर्तन होता है, और उनके बिना जीवन के अस्तित्व की कल्पना करना कठिन है।”पं० जवाहरलाल नेहरू

प्रस्तावना

विज्ञान ने मानव जीवन की काया पलट कर दी है। जो मनुष्य पहले वनों में रहता था, गुफाएँ जिसका घर थीं, वृक्षों की छाल ही जिसके वस्त्र थे, वही मनुष्य आज विशाल अट्टालिकाओं में रहता है, तीव्रगामी वाहनों में यात्रा करता है, बड़े–बड़े भयंकर रोगों से लड़ सकता है, यहाँ तक कि चन्द्रमा और मंगल ग्रह की यात्रा करने की भी शक्ति रखता है।

वास्तविकता यह है कि विज्ञान ने मानव को ऐसी शक्ति दी है कि वह कम से कम समय में, कम से कम शक्ति लगा कर अधिक से अधिक काम कर सकता है।

यन्त्र विज्ञान की देन

विज्ञान ने हमें अनेक प्रकार के यन्त्र दिये जो वाष्पशक्ति एवं बिजली की शक्ति से चलते हैं और थोड़ ही समय में बहुत काम कर दिखाते हैं। बड़े–बड़े कपड़ा मिल, घी बनाने के कारखाने तथा भोजन की अन्य वस्तुओं की फैक्ट्रियाँ, यात्रा के लिए मोटर, रेलगाड़ियाँ, हवाई जहाज एवं समुद्री यान तथा भारी विद्युत उत्पादक यन्त्र आदि अनेक सुविधाएँ मानव को विज्ञान ने दी हैं।

अब हम रडार की सहायता से अपने देश की रक्षा कर सकते हैं, टैंकों की सहायता से शत्रु की मुकाबला कर सकते हैं तथा वायरलैस की सहायता से मिनटों में एक समाचार को एक स्थान से दूसरे स्थान को भेज सकते हैं।

मनोरंजन एवं ज्ञान में वृद्धि

विज्ञान ने हमें मनोरंजन के अनेक साधन दिये हैं। ग्रामोफोन, रेडियो, टेलीविजन, चित्रपट, टेपरिकार्डर आदि अनेक साधनों से हमें थोड़े खर्चे से श्रेष्ठ मनोरंजन कर सकते हैं। मनोरंजन ही नहीं, ये सब साधन ज्ञानवृद्धि में भी सहायक होते हैं। विज्ञान ने मुद्रणालय का भी आविष्कार किया है जिससे समाचार–पत्र एवं कीमती पुस्तकें साधारण मनुष्यों को भी सहज उपलब्ध हो गयी हैं।

मौसम एवं अन्तरिक्ष विज्ञान

मौसम विज्ञान के द्वारा हम आने वाले आँधी–तफानों का पहले से अनुमान कर सकते हैं, पहले से ही हम उनको रोकने और उनसे बचाव का प्रयत्न कर सकते हैं। कम्प्यूटर के द्वारा हम कई दिन आगे तक की मौसम का सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और जनता को आने वाले संकट से सूचित कर सकते हैं।

अन्तरिक्ष भी विज्ञान के प्रभाव से अछूता नहीं रह गया है। हम अनेक ग्रह–नक्षत्रों के बारे में वेधशालाओं के द्वारा अत्यधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। अब तो पृथ्वी पर स्थानाभाव के कारण मनुष्य अन्तरिक्ष में जाकर वहाँ बसने के विषय में सोच रहा है।

औषधि विज्ञान एवं सर्जरी की देन

विज्ञान से अनेक प्रकार की औषधियों का निर्माण हुआ जो भयंकर से भयंकर रोगों के उपचार में सहायक हैं। अनेक रोग जो पहले मृत्यू का कारण बनते थे, वे आज साधारण रोग माने जाते हैं, जैसे टी०बी०, टायफाइड, मलेरिया आदि। प्लेग और चेचक आदि अनेक रोगों को तो विज्ञान ने जड़ से ही उखाड़ फेंका है।

अब ऐसे टीकों का आविष्कार हो गया है जिनके द्वारा इन रोगों से पहले से ही बचाव किया जा सकता है। सर्जरी में इतना विकास हो गया है कि मस्तिष्क और हृदय जैसे कोमल अंगों का सरलता से आप्रेशन किया जा सकता है। यहाँ तक कि अब कृत्रिम हृदय भी लगाया जा सकता है। इस प्रकार मानव जीवन की सुरक्षा में विज्ञान ने अभूतपूर्व योगदान किया है।

मानव–कल्याण

विज्ञान ने मानव जीवन को संवारने का अभूतपूर्व प्रयास किया है। किन्तु इसके साथ ही विज्ञान ने अनेक विनाशकारी अस्त्र–शस्त्रों का निर्माण भी किया है जो मानव और मानव–निर्मित सभ्यता को नष्ट करने में सहायक होते हैं। इस कारण कुछ विचारक विज्ञान के बढ़ते हुए चरणों पर रोग लगाने के पक्ष में हैं किन्तु उनकी यह सोच उचित नहीं है।

विज्ञान तो मात्र साधन है, उसका सदुपयोग या दुरुपयोग करना मानव के हाथ में है। यह एक शुभ लक्षण है कि अब संसार भर के विचारक और राजनीतिक नेता इस बात पर सहमत हैं कि विज्ञान का उपयोग केवल शान्तिपूर्ण और विकास कार्यों के लिए करना चाहिए। इस दिशा में अनेक प्रयास हुए भी हैं।

भारत की वैज्ञानिक उपलिब्धयाँ

विज्ञान की उन्नति में भारत का सहयोग सराहनीय है। स्वतन्त्रता के पश्चात आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद भी भारत की जो वैज्ञानिक उपलब्धियाँ हैं, उन्होंने उन तमाम पश्चिमी शक्तियों को आश्चर्य में डाल दिया है जो वैज्ञानिक आविष्कारों पर अपना अधिकार समझती थीं। आज भारत की गणना विश्व की छ: बड़ी शक्तियों में की जाती है।

इसकी वैज्ञानिक प्रगति को देखकर सारा विश्व दाँतों तले उँगली दबाता है। आज हमारे देश में उन सभी छोटी–बड़ी मशीनों और कलपुर्जी का निर्माण होता है जिनको हम अपार धन खर्च करके विदेशों से मंगाते थे। चाहे रेल का इंजन हो या हवाई जहाज, स्वचालित छोटे वाहन हों या बड़े–बड़े जलपोत, उत्पादक मशीनें हों या मशीनों का निर्माण करने वाली दैत्याकार बड़ी मशीनें, सब हमारे देश में बनने लगी हैं।

जिन चीजों के लिए हम दूसरे देशों पर निर्भर थे, आज हम उनका निर्यात करते हैं। भाखड़ा नांगल, हीराकुड, दामोदर घाटी तथा यमुना योजना आदि अनेक योजनाएँ लगभग पूर्ण हो चुकी हैं। इनसे बड़ी–बड़ी नहरों का निर्माण हुआ और विशाल बिजलीघरों की स्थापना हुई। इससे बाढ़ पर नियन्त्रण हुआ, सिंचाई की समस्या बहुत कुछ हल हुई और बिजली का उत्पादन बढ़ा है। ऊर्जा के क्षेत्र में भी भारत की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ हैं।

खनिज तेल के कई विशाल क्षेत्र उपलब्ध हो चुके हैं, और आशा ऐसी है कि कुछ दिनों में खनिज तेल के लिए हमें विदेशों का मुंह नहीं ताकना पड़ेगा। लड़ाकू विमान, युद्धपोत, पनडुब्बी, विविध प्रक्षेपास्त्र, विमानभेदी तोपें तथा टैंक आदि विविध युद्ध सामग्री अब हमारे देश में बनती हैं, विगत दो युद्धों में हमारे नेट–विमानों, युद्धपोतों तथा प्रक्षेपास्त्रों ने अमेरिका और फ्रांस में बने लड़ाकू विमानों तथा टैंकी की जो दुर्दशा की उसे देखकर अमेरिका और फ्रांस आदि देशों को भी अपनी अभेद्य युद्ध–सामग्री के बारे में सोचना पड़ रहा है।

शक्ति के क्षेत्र में तो भारत की उन्नति को देखकर सारा संसारं चकित है। राजस्थान और तारापुर में दो विशाल परमाणु बिजलीघर संचालित हैं। यूरेनियम और थोरियम धातुओं को शुद्ध करने की भट्टियाँ भी चालू हो चुकी हैं। परमाणु शक्ति के क्षेत्र में भारत की पहुँच ने उस दिन विश्व को आश्चर्य में डाल दिया जिस दिन राजस्थान के पोखरण स्थान पर भारत ने सफल नाभिकीय विस्फोट कर अणू परीक्षण किया, एक स्पूतनिक छोड़ा जो सफलता से आकाश में उड़ा और 20 मई 1975 ई० को अन्तरिक्ष में आर्यभट्ट का सफल परीक्षण किया।

इसके पश्चात अन्तरिक्ष विज्ञान में भारत ने कई सफल प्रक्षेपण किये हैं। इस दिशा में वह तेजी से आगे बढ़ रहा है। हम स्वस्थ्य वैज्ञानिक–दृष्टिकोण अपनाकर सन्तुलित समाज का निर्माण कर सकते हैं।

उपसंहार

भारत परमाणु शक्ति का उपयोग मानवसंहारी अस्त्रों के निर्माण पर न करके शान्तिपूर्ण रचनात्मक कार्यों के लिए करना चाहता है। हमें आशा करनी चाहिए कि विश्वभर के वैज्ञानिक इस बात को समझेंगे और वे केवल शान्तिपूर्ण आविष्कारों पर बल देंगे ताकि विज्ञान मानव का अनूचर बनकर रहे, न कि वह मानव का स्वामी बन जाये।

यदि विज्ञान का प्रयोग अनूचित दिशा में किया गया तो विज्ञान पृथ्वी से मानव का अस्तित्व ही मिटा देगा। इसलिए विज्ञान के विनाशकारी रूप का त्याग तथा शान्तिपूर्ण विकास कार्यों के लिए ग्रहण करना ही मानव के लिए हितकर है।

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