Goa Liberation Day 2025: वैसे तो आज गोवा अपने खूबसूरत बीच, नाइट लाइफ और पर्यटन के लिए जाना जाता है, लेकिन क्या आपको गोवा के इतिहास, संघर्ष, साहस और आज़ादी की कहानी पता है। इसके साथ ही हर साल 19 दिसम्बर को मनाया जाने वाला गोवा मुक्ति दिवस क्यों मनाया जाता है, इसके पीछे की क्या कहानी है, चलिए जानते हैं...
बहुत कम लोग जानते हैं कि भारत को 1947 में स्वतंत्रता मिलने के बावजूद गोवा को आज़ादी पाने के लिए 14 वर्ष और इन्तजार करना पड़ा था।
गोवा मुक्ति दिवस का इतिहास
- गोवा मुक्ति दिवस 19 दिसंबर को इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन गोवा को पुर्तगाली शासन से आजादी मिली थी।
- 19 दिसंबर 1961 को भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा चलाए गए सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन विजय’ के बाद गोवा को आज़ाद कराया गया।
- यह अभियान मात्र 36 घंटे चला, जिसमें भारतीय थल सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना तीनों ने संयुक्त रूप से हिस्सा लिया।
1510 से 1961 तक गोवा पर रहा विदेशी शासन
गोवा पर विदेशी शासन का इतिहास काफी लंबा रहा है, चलिए इसके बारे में कुछ बिन्दुओं के माध्यम से जानते हैं -
- मार्च 1510 में पुर्तगाली सेनापति अलफांसो-द-अल्बुकर्क ने गोवा पर पहला आक्रमण किया।
- गोवा को मुक्त कराने के लिए यूसुफ आदिल खां ने पुर्तगालियों पर हमला किया, जिससे वे कुछ समय के लिए पीछे हट गए। बाद में अल्बुकर्क ने पुनः गोवा पर कब्जा कर लिया।
- पुर्तगालियों ने लगभग 450 वर्षों तक गोवा पर शासन किया।
- 1809 से 1815 के बीच नेपोलियन ने पुर्तगाल पर कब्जा कर लिया, जिसका प्रभाव गोवा पर भी पड़ा।
- इसके बाद गोवा अप्रत्यक्ष रूप से ब्रिटिश प्रभाव में रहा, लेकिन औपचारिक रूप से पुर्तगालियों का ही शासन बना रहा।
ऑपरेशन विजय: 36 घंटे में बदला इतिहास
18 दिसंबर 1961 को भारत सरकार ने गोवा की मुक्ति के लिए ऑपरेशन विजय शुरू किया। लगातार हमलों के बाद 19 दिसंबर 1961 को पुर्तगाली सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया। इसके साथ ही गोवा, दमन, दीव भारत का अभिन्न हिस्सा बने।
औपचारिक रूप से गोवा 1962 में भारत का हिस्सा बना, और इसकी राजधानी पणजी (Panaji) बनाई गयी। मुक्ति के बाद प्रशासनिक ढांचे का गठन किया गया। 20 दिसंबर 1962 को श्री दयानंद भंडारकर गोवा के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री बने।
गोवा की मुक्ति के बाद यह सवाल खड़ा हुआ कि क्या गोवा को महाराष्ट्र में विलय कर दिया जाए या उसे अलग पहचान दी जाए, क्योंकि भाषा और भौगोलिक स्थिति के आधार पर यह प्रस्ताव रखा गया था; हालांकि 1967 में हुए जनमत संग्रह (Opinion Poll) में गोवा की जनता ने स्पष्ट रूप से महाराष्ट्र में विलय का विरोध किया और केंद्र शासित प्रदेश के रूप में बने रहना स्वीकार किया, जिसके परिणामस्वरूप 30 मई 1987 को गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला।
इसी दिन गोवा अपना स्थापना दिवस (Goa Statehood Day) के रूप में मनाता है और इसी के साथ गोवा भारत का 25वां राज्य बना; आज गोवा अपनी नाइट लाइफ, बीच टूरिज्म, एडवेंचर स्पोर्ट्स, सी-फूड और समृद्ध संस्कृति के लिए जाना जाता है और युवाओं के बीच काफी प्रसिद्द है।

