आज की बचत, कल का सुख पर निबन्ध | Aaj ki bachat kal ka sukh par nibandh

आज की बचत, कल का सुख पर निबंध

Aaj ki bachat kal ka sukh par nibandh in hindi

संकेत बिंदु– (1) सूक्ति की व्याख्या (2) धन ही सब कार्यों की सफलता का माध्यम (3) धन बिना जीवन (4) भारत सरकार द्वारा बचत के लिए प्रोत्साहन  (5) बीमा योजनाओं में बचत।

सूक्ति की व्याख्या

आवश्यक व्यय के बाद बची रहने वाली धन राशि 'बचत' है। आज के दिन के बाद आने वाला समय 'कल' है। वह प्रिय अनुभूति जो अनुकूल या अभीप्सित वातावरण या स्थिति की प्राप्ति पर होती है, 'सुख' है। इस प्रकार सूक्ति का अर्थ हुआ– अपने अत्यावश्यक दैनन्दिन व्यय के बाद जितनी धन राशि को बचत हम करेंगे, उससे भविष्य में आर्थिक, मानसिक तथा शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी और अपेक्षित सुविधाएं प्राप्त होंगी।

अंग्रेजी के प्रसिद्ध कवि लांगफैलो ने कहा है, 'भविष्य कैसा भी सुखमय हो, उस पर विश्वास न करो।' कारण भविष्य को भगवान्‌ ने बड़ी सावधानी से छिपाया है और उसे आशामय बनाया है। मैथिलीशरण गुप्त ने निम्न शब्दों में इसको पुष्टि की है-

भविष्य का दृश्य आता। हा क्या दिखा के विधि क्या दिखाता।

इस अनिश्चित भविष्य को सुखमय बनाने के लिए वाल्मीकि रामायण कहती है, 'शुभ के इच्छुक के द्वारा भविष्य के लिए उपाय करना ही होगा। अन्यथा तुम्हारा पतन निश्चित है।' दूसरे, 'भविष्य का तुच्छ अनुचर केवल अतीत का स्वामी है। अत: जो भविष्य को सुखमय बनाना चाहते हैं, उन्हें वर्तमान में समझ बूझकर चलना चाहिए।

धन ही सब कार्यों की सफलता का माध्यम

भविष्य को सुखमय बनाने के लिए धन चाहिए। कारण, धन ही सब कार्यों और सफलताओं का माध्यम है। नियमित जीवन में धन प्राप्ति कैसे हो ? इसके लिए नीतिवान्‌ चाणक्य का कथन है– 'एक एक बिन्दु से जैसे धीरे धीरे घड़ा भर जाता है, उसी प्रकार धन का भी थोड़ा थोड़ा संचय करने से विशाल संग्रह हो जाता है।' 

जलबिन्दु निपातेन क्रमश: पूर्यते घट:।
सहेतु: सर्व विद्यानां धर्मस्य धनस्य च॥

संचय के महत्त्व के सम्बन्ध में किसी कवि ने कहा है–

पैसे सात कमाय कर; खर्च करेगा पाँच।
सदा सुरक्षित वह रहे, कभी न आवे आँच॥

हारी बीमारी है, मौत गमी है, अकस्मात्‌ कोई दुर्घटना हो जाती है, बच्चों की शिक्षा दीक्षा है, विवाह अथवा मंगल कार्य है– इन सब आने वाले 'सु' और 'कु' अवसरों पर सरलतापूर्वक विजय पाने के लिए आवश्यक हैं कि आपने कुछ बचत करके पैसा इकट्ठा किया हो।

धन बिना जीवन

यदि आपके पास पैसा न होगा तो आने वाले कल के अच्छे और बुरे अवसरों पर आप दूसरों का मुँह ताकते रह जाएँगे। किस्मत को कोसेंगे। इधर उधर से कर्ज उठाने के लिए दस के आगे नाक रगड़ेंगे। अपमानित होंगे। ब्याज का बोझ सिर पर उठाएँगे। मूल और सूद चुकाने के लिए विवशतावश घर के बजट में कटौती करेंगे। बजट में कटौती से घर में कलह होगी। जीवन नरक बन जाएगा। बचत के सम्बन्ध में किसी कवि की ये पेक्तियाँ मानव के लिए उचित चेतावनी हैं–

सकल धन संग्रह करे; आवे कोई दिन काम।
समय परे ये का मिले, माटी खर्चे दाम॥

इसी प्रकार सावधानी बरतने के लिए श्री मैथिलीशरण गुप्त कहते हैं–

मितव्ययी हो, कृपण न आर्य।
नहीं अपव्यय है औदार्य॥

अत; जो बचत कल विवशतावश करनी है, वह यदि आज ही से आरम्भ करें, तो कल निश्चिय ही सुखमय होगा, उन्नत होगा, आनन्दमय होगा।

भारत सरकार द्वारा बचत के लिए प्रोत्साहन

आज के युग में बचत की प्रवृत्ति न केवल व्यक्ति के लिए लाभप्रद है, देश के विकास और खुशहाली का माध्यम भी है। ज्यादा खर्च करना वस्तुओं की माँग बढ़ाना है। माँग से व्यापारी वर्ग में संग्रह की प्रवृत्ति बढ़ेगी। संग्रह की प्रवृत्ति से बाजार में वस्तुओं की प्राप्ति में कठिनाई होगी। इस प्रकार आपकी माँग महँगाई को निमंत्रित करेगी, जो जन का अहित कर राष्ट्र की अर्थव्यवस्था पर कुप्रभाव डालेगी।

अतः भारत सरकार बचत के लिए युद्ध स्तर पर कार्य कर रही है | दैनन्दिन रेडियो, टेलीविजन, इन्टरनेट और समाचार पत्रों, पत्रिकाओं में विज्ञापन द्वारा जनता में बचत की प्रवृत्ति बढ़ा रही है। भारतीय यूनिट ट्रस्ट, आई.सी.आई.सी.आई., जीवन बीमा निगम, डाक घर; बैंक तथा सहकारी बैंक, नॉन बैंकिंग फाइनेंशल कम्पनीज आदि राजकीय तथा सार्वजनिक संस्थाएं अपनी अनेक बचत योजनाओं के लिए द्वारा जनता में बचत प्रवृत्ति को प्रोत्साहन दे रही हैं। कार्यालयों में काम करने वाले सभी वर्गों के कर्मचारियों तथा औद्योगिक संस्थानों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए 'भविष्य निधि' योजना बचत का अनिवार्य रूप है।

बीमा योजनाओं में बचत

जीवन बीमा योजना में बचत से एक महत्त्वपूर्ण लाभ और भी है। इस योजना के अन्तर्गत आपने चाहे एक या दो ही किश्तें दी हों, आपकी यदि मृत्यु हो जाती है तो बीमा राशि का पूरा धन आपके परिवार को मिलेगा। यह राशि परिवार की आर्थिक मुक्ति में सहायक सिद्ध होगी।

इसी प्रकार की अन्य अनेक योजनाओं द्वारा बचत करके हम अपना भविष्य उज्ज्वल बना सकते हैं। अत: मानव को आज बचत करके अपने कल को सुखमय बनाना चहिए। कहा भी गया है– 'संचयी नावसीदति।' अर्थात्‌ संचय करने वाला कभी दुःखी नहीं रहता।

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