श्री हनुमान रक्षा स्तोत्र | Hanuman Raksha Stotra
Hanuman Raksha Stotra: देवों में हनुमान जी को 'रक्षक' की उपाधि मिली हुई है, माता सीता को खोजने में भगवान श्रीराम जी की सहायता हनुमान जी ने की। लक्षमण जी के प्राण बचाने के लिए हनुमान जी ने ही संजीवनी बूटी लायी थी, ऐसे कई उदाहरण अन्य भी हैं जिनमें हनुमान जी ने सभी की सहायता की है। इसी तरह जिन व्यक्तियों के जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या चल रही हो, और कोई भी रास्ता ना दिखाई पड़ रहा हो। उन्हे श्री हनुमत रक्षा स्तोत्रम का नियमित पाठ करना चाहिए। इसके अतिरिक्त इसका पाठ मंगलवार और शनिवार को विशेषतः फलदायी माना जाता है।
श्री हनुमत् रक्षा स्तोत्रम्
वामे करे वैरिभिदं वहन्तं शैलं परे शृङ्खलहारटङ्कम्।
ददानमच्छाच्छसुवर्णवर्णं भजे ज्वलत्कुण्डलमाञ्जनेयम् ॥ १॥
पद्मरागमणिकुण्डलत्विषा पाटलीकृतकपोलमस्तकम्।
दिव्यहेमकदलीवनान्तरे भावयामि पवमाननन्दनम् ॥ २॥
उद्यदादित्यसङ्काशमुदारभुजविक्रमम्।
कन्दर्पकोटिलावण्यं सर्वविद्याविशारदम् ॥ ३॥
श्रीरामहृदयानन्दं भक्तकल्पमहीरुहम्।
अभयं वरदं दोर्भ्यां कलये मारुतात्मजम् ॥ ४॥
वामहस्ते महाकृच्छ्रदशास्यकरमर्दनम्।
उद्यद्वीक्षणकोदण्डं हनूमन्तं विचिन्तयेत् ॥ ५॥
स्फटिकाभं स्वर्णकान्तिं द्विभुजं च कृताञ्जलिम्।
कुण्डलद्वयसंशोभिमुखाम्भोजं हरिं भजे ॥ ६॥
॥ इति श्रीहनुमत् रक्षा स्तोत्रं समाप्तम् ॥
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