शुक्रवार की आरती | Sukravar Aarti

Sukravar Aarti: शुक्रवार का दिन माँ संतोषी और लक्ष्मण भगवान दोनों का ही दिन माना जाता है, इनके भक्त अपने आराध्य को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार का व्रत भी धारण करते हैं। साथ ही पुजा स्तुति में आरती का पाठ करते हैं, और सुनते हैं। 

Sukravar Aarti: माँ संतोषी और लक्ष्मण भगवान की आरती

शुक्रवार व्रत की आरती

लक्ष्मण जी की शुक्रवार आरती: शुक्रवार के दिन कुछ लोग भगवान लक्ष्मण जी को प्रसन्न करने के लिए व्रत धारण करते हैं, वो नीचे दी गयी आरती का पाठ व श्रवण करें >> 

आरती लक्ष्मण बालजती की
असुर संहारन प्राणपति की

जगमग ज्योति अवधपुर राजे
शेषाचल पै आप विराजे

घंटा ताल पखावज बाजे
कोटि देव मुनि आरती साजे

किरीट मुकुट कर धनुष विराजे
तीन लोक जाकी शोभा राजे

कंचन थार कपूर सुहाई
आरती करत सुमित्रा माई

आरती कीजे हरी की तैसी
ध्रुव प्रहलाद विभीषण जैसी

प्रेम मगन होय आरती गावै
बसि वैकुण्ठ बहुरि नहीं आवै

भक्ति हेतु हरि ध्यान लगावै
जन घनश्याम परमपद पावै

शुक्रवार की आरती | Sukravar Aarti

जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता।
अपने सेवक जन को, सुख सम्पत्ति दाता॥
जय सन्तोषी माता॥ 

सुन्दर चीर सुनहरी माँ धारण कीन्हों।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार कीन्हों॥
जय सन्तोषी माता॥ 

गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे।
मन्द हंसत करुणामयी, त्रिभुवन मन मोहे॥
जय सन्तोषी माता॥ 

स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरें प्यारे।
धूप दीप मधुमेवा, भोग धरें न्यारे॥
जय सन्तोषी माता॥ 

गुड़ अरु चना परमप्रिय, तामे संतोष कियो।
सन्तोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो॥
जय सन्तोषी माता॥ 

शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही।
भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही॥
जय सन्तोषी माता॥ 

मन्दिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई।
}विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई॥
जय सन्तोषी माता॥ 

भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै।
जो मन बसै हमारे, इच्छा फल दीजै॥
जय सन्तोषी माता॥ 

दुखी दरिद्री, रोग, संकट मुक्त किये।
बहु धन-धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिये॥
जय सन्तोषी माता॥

ध्यान धर्यो जिस जन ने, मनवांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनन्द आयो॥
जय सन्तोषी माता॥

शरण गहे की लज्जा, राखियो जगदम्बे।
संकट तू ही निवारे, दयामयी अम्बे॥
जय सन्तोषी माता॥

सन्तोषी माता की आरती, जो कोई जन गावे।
ऋद्धि-सिद्धि, सुख-सम्पत्ति, जी भरकर पावे॥
जय सन्तोषी माता॥

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